एक बार पक्षियों (Birds) का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँचता हैं। वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था। वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे। इस प्रकार पक्षियों को वहाँ खाने-पीने की कमी नहीं थी।
सबसे अच्छी बात यह थी कि वहाँ पक्षियों का शिकार करने वाला जंगली जानवर भी नहीं था। पक्षी वहाँ बहुत ख़ुश थे। इतना आराम की Life उन्होंने पहले देखा नहीं था।
उस झुण्ड में अधिकांश पक्षी युवा थे। वे सोचने लगे कि अब पूरी Life इसी टापू पर रहना है, यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक Life कहीं नहीं मिलेगी।
लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा पक्षी भी था। वह जब युवा पक्षियों को देखता था , तो फिक्र में पड़ जाता था वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक Life का इन युवा पक्षियों पर क्या असर पड़ेगा ? क्या यह वास्तविक Life का अर्थ समझ पाएंगे ?
यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है। ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो यह कैसे उसका मुकाबला करेंगे ?
बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े पक्षी ने सभी अन्य पक्षियों की सभा बुलाई। अपनी फिक्र बताते हुए वह सबसे बोला, “ इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं। मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं. यहाँ हम बिना चुनौती का में कब तक रहेंगे। ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे। ”
युवा पक्षियों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी, उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा पक्षी पागल गया है। इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है , उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया।
बूढ़े पक्षी ने उन्हें समझाने की कोशिश की , “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो। ऐसे में मुसीबात आई , तो क्या करोगे ? मेरे बात मानो , मेरे साथ चलो। ”
लेकिन किसी ने बूढ़े पक्षी की बात नहीं मानी. बूढ़ा पक्षी अकेला ही वहाँ से चला गया। कुछ महीने बीते. एक दिन बूढ़े पक्षी ने टापू पर गये पक्षियों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँच गया।
टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था। जहाँ देखो, वहाँ पक्षियों के समूह बेसहारा पड़े हुए थे। कई पक्षी लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे। हैरान बूढ़े पक्षी ने एक घायल पक्षी से पूछा, “ ये क्या हो गया ? तुम लोगों की ये हालात कैसे हुई ? ”
घायल पक्षी ने बताया, “ आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे। लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया। उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए। शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया। लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं।
हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया। उनके ही कारण हमारा ये हाल है. शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है। ”
शिक्षा : – अक्सर आपका कम्फर्ट जोन (Comfort Zone) में जाने के बाद उससे बाहर आ पाना मुश्किल होता है। ऐसे में चुनौतियाँ आने पर उसका सामना कर पाना आसान नहीं होता हैं इसलिए कभी भी कम्फर्ट ज़ोन में जाकर ख़ुश न हो जाएँ। ख़ुद को हमेशा चुनौती (Challenge) देते रहे और जब तब आप चुनौती का सामना करते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे।
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