Albert Einstein दुनिया के महान वैज्ञानिक ,जिनका विज्ञान के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान हैं। एक बार वे Relativity topic पर शोध कर रहे थे।
इसी विषय में विभिन्न University में जाकर वो students और professors को lecture दिया करते थे। उनका ड्राइवर भी उनके साथ जाता था और उनके lecture को सुनता था उनका ड्राइवर उन्हें लेक्चर लेते समय बहुत बारीकी से observe करता था।
एक बार जब वो किसी यूनिवर्सिटी से लेक्चर लेकर लौट रहे थे तब उनके ड्राइवर ने कहा -सर, आप जो Relativity में lecture देते हो यह बहुत आसान हैं ये तो मैं भी कर सकता हूँ।
Albert Einstein ने मुस्कुराते हुए बोले - ठीक हैं ! मैं तुम्हे lecture देने का मौका जरूर दूँगा।
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Albert Einstein |
अगले दिन Albert Einstein ने अपने कपडे ड्राइवर को पहना दिए और ड्राइवर के कपडे खुद पहन लिए और कार ड्राइव करके university पहुंच गए। इस University में अधिकतर लोग नए थे तो कोई उन्हें पहचान भी नहीं पा रहा था।
University पहुँचकर Albert Einstein ने ड्राइवर को lecture लेने को कहा। और खुद पीछे बैठ गए।
पता हैं जब उस ड्राइवर ने बिना पढ़े लिखे होने पर भी बिना किसी डर के बड़े-बड़े professors के सामने Relativity पर lecture दिया तो किसी को पता ही नहीं चला की ये लेक्चर Albert Einstein नहीं बल्कि उनका ड्राइवर दे रहा हैं।
मजे की बात तो अब शुरू होती हैं जब lecture होने के बाद किसी ने उस Albert Einstein बने ड्राइवर से कुछ सवाल पूछें। तो इस पर driver ने कहा- बस इतना सा सवाल , इसका जबाब तो मेरा ड्राइवर देगा।
अब ड्राइवर बनकर आये Albert Einstein ,स्टेज पर पहुँचे सवालों का जबाब दिया। बाद में Albert Einstein ने बताया lecture लेने वाला व्यक्ति Albert Einstein नहीं बल्कि उनका ड्राइवर हैं।
तब उपस्थित सभी लोग अचंभित हो गए क्योंकि जो Relativity बड़े-बड़े professors को समझ नहीं आती हैं उस ड्राइवर ने इतनी बारीकी से आखिर कैसे समझा दिया ?
इसे ही कहते हैं संगति का असर। Albert Einstein के साथ रह कर बिना पड़ा लिखा ड्राइवर भी इतना बुद्धिमान हो गया कि वो बड़े बड़े professors को Relativity समझा गया।
इसका आशय यही हैं यदि आप अच्छे लोगो की संगत करें तो हमेशा प्रशंसा पायेंगे और मूर्ख , दुर्जन के साथ रहकर आप अपना मान अवश्य घटा लेंगे। आपके मित्र ,पडोसी और आसपास अच्छे व्यक्ति होना आपके अच्छे भविष्य का निर्धारण करते हैं।
इस विषय को रामायण महाकाव्य के कुछ पात्रों के आधार पर भी समझा जा सकता हैं -
किसी की संगति का असर इतना अधिक होता हैं कि मंथरा की संगति ने कैकयी को अपराधी बना दिया और सज्जन , सदग्रन्थों की संगति ने विभीषण का उद्धार कर दिया।
" आपकी संगत , आपकी रंगत बनाती हैं। "
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