सुविचार 1. :-
स्व वचन का अर्थ हैं मन कर्म वचन से एक भाव का रखना , हम सभी मानव अपने मनोमस्तिष्क में किसी के प्रति भाव कुछ रखते हैं , बोलते कुछ हैं और कृत्य कुछ और करते हैं।
अतः अपने जीवन को सहज सुन्दर बनाने के लिए इन तीनो अर्थात मन, बचन, कर्म में एकरूपता लाना ही स्व वचन हैं।अब आप ही सोचे कोई जब आपसे मिलने आता हैं तो ऊपर से तो हम उसका स्वागत करते हैं पर अंदर ही अंदर हम ये सोचते ये क्यों आ गया मेरा समय बर्बाद करने और उसमे अपना स्वार्थ खोजने लगते हैं ऐसा हम इसलिए करते हैं क्यूंकि मनुष्य स्व वचन का भाव भूल कर अपने स्वार्थ को सर्वोपरि मानता हैं।
सुविचार 2. :-
हमारी ज़िन्दगी में किताबें उतना ही महत्त्व रखती जितना किसी पथिक को रास्ता बताने बाले साइन बोर्ड का मिल जाना ,
जिस प्रकार तन को सुन्दर दिखने के लिए,
कपड़ो की जरुरत होती हैं .
उसी प्रकार जीवन को सुन्दर बनाने के लिए,
किताबो की जरुरत होती हैं.
हमारे घर की अलमारियो में कपडे से भरा होना अर्थात हमारे ऐश्वर्य का प्रतीक माना जा सकता परन्तु किताबो से भरी अलमारी हमारे ज्ञान का प्रतीक हैं।
जिस प्रकार तन को सुन्दर दिखने के लिए,
कपड़ो की जरुरत होती हैं .
उसी प्रकार जीवन को सुन्दर बनाने के लिए,
किताबो की जरुरत होती हैं.
हमारे घर की अलमारियो में कपडे से भरा होना अर्थात हमारे ऐश्वर्य का प्रतीक माना जा सकता परन्तु किताबो से भरी अलमारी हमारे ज्ञान का प्रतीक हैं।
किताब हमारी ऐसी मित्र हैं जो प्रत्येक समय प्रत्येक स्थान में सहायक हैं।
"किताबो में इतना खज़ाना छिपा हैं जिसे चाह कर भी कोई लुटेरा लूट नहीं सकता"
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